मुजफ्फरपुर अगर ब्रेन ट्यूमर की पहचान जल्द हो जाए तो तो 90 प्रतिशत कैंसर रहित ब्रेन ट्यूमर का पूरी तरह से इलाज हो जाता है। समय पर पहचान व विशेषज्ञ से इलाज होना चाहिए। मुजफ्फरपुर और आसपास में ब्रेन ट्यूमर के मरीज मिल रहे हैं। एसकेएमसीएच व होमी भाभा कैंसर रिसर्च सेंटर अस्पताल में हर माह 40 से 50 मरीज आ रहे हैं।
नई तकनीकी से इलाज हुआ आसान
श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज व अस्पताल (एसकेएमसीएच) के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष
डा.दीपक कर्ण ने बताया कि उनके यहां आउटडोर में हर माह 25 से 30 मरीज ब्रेन ट्यूमर के आ रहे हैं। डा. कर्ण ने बताया कि सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसर नहीं बनते और ज्यादातर ये मस्तिष्क के बाहर नहीं फैलते। एक समय लोग सर्जरी के नाम से डरते थे, लेकिन आज आधुनिक तकनीक आने के कारण ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी काफी सुरक्षित एवं प्रभावी हो गई है। सर्जरी के बाद ब्रेन ट्यूमर के मरीज आम लोगों की तरह लंबा जीवन जीते हैं। बताया कि भारत में हर साल 40 से 50 हजार मरीजों में ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है और इनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। बच्चों में ल्यूकेमिया के बाद ब्रेन ट्यूमर सर्वाधिक सामान्य कैंसर है। होमी भाभा कैंसर हास्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के प्रभारी डा.रविकांत ने बताया कि उनके यहां 15 से 20 मरीज आ रहे हैं। अभी जांच व इलाज की सुविधा है। सर्जरी
के लिए वाराणसी भेजा जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 50 प्रतिशत लोगों को एक साल बाद इस बीमारी के बारे में पता लगता है। 12 से 13 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें पांच साल बाद इसके बारे में पता चलता है। 20 से 40 वर्ष के लोगों में यह कैंसर रहित ट्यूमर के रूप में पाया गया है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण वैसे तो हर पीडि़त के शरीर में एक जैसा दिखाई दे, ये तो कोई जरूरी बात नहीं है लेकिन ब्रेन ट्यूमर होने पर आम लक्षण जो शरीर में दिखाई देते हैं उनमें धीरे-धीरे सिरदर्द का बढऩा, घबराहट या उल्टी, धुंधली दृष्टि, दोहरी दृष्टि या दृष्टि की हानि, रोजमर्रा के मामलों में उलझन, व्यवहार में बदलाव, बोलने और सुनने में कठिनाई तथा मिर्गी शामिल है। ऐसी स्थिति में जांच एवं इलाज में विलंब नहीं करना चाहिए।
यहां इलाज की मिल रही सुविधा
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच व होमी भाभा में इलाज और जांच की सुविधा मिल रही है। आपेरशन के लिए एसकेएमसीएच में सुपर स्पेशलिटी वार्ड बन रहा है।
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